कैथा( कवठ) की चटनी कैथा ,इस आयुर्वेदिक औषधी को अलग-अलग स्थानों में कई नाम से जाना जाता है। इसे लकड़ी सेब, हाथी सेब, कवठ...
कैथा( कवठ) की चटनी
कैथा ,इस आयुर्वेदिक औषधी को अलग-अलग स्थानों में कई नाम से जाना जाता है। इसे लकड़ी सेब, हाथी सेब, कवठ, कबीट आदि नाम से जाना जाता है। इसके ऊपर के कठोर आवरण के कारण इसका नाम लकड़ी सेब पड़ा। यह एक गोलाकार फल है जो अपने कठोर आवरण के अंदर सुरक्षित रहता है। कठोर आवरण के अंदर भूरे रंग की लुग्दी और बीज सफेद होते हैं। इसे कच्चे ही खाया जा सकता है। लेकिन इसका उपयोग विभन्न प्रकार के व्यंजनों विशेष रूप से चटनी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति
इसमे विटामिन और कार्बनिक यौगिकों की अच्छी मात्रा होती है। जिनमें टैनिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, फाइबर, प्रोटीन और आयरन शामिल है।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
यह अपचन, कब्ज, श्वसन संबंधी समस्याएं, बवासीर, दस्त और पेचिश जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत कर बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आदि से हमारे शरीर की रक्षा करता है। इसका एक और फायदा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए होता है जो दूध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। आज हम इस अति गुणकारी औषधि फल की चटनी बनाना सीखेंगे|कैथा फल के अन्य फायदे -
(1)कब्ज पैदा करने वाला, खुजली को शांत करने वाला, वात और खांसी को बढ़ाने वाला होता है।(2) इसका पका फल स्वादिष्ट, खट्टा, कषैला, ग्राही, मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक, दुष्पाच्य होता है।
(3)यह कण्ठ को साफ करता है किन्तु स्वर को नुकसान पहुंचता है।
(4)यह श्वास, क्षय, रक्तदोष, वमन, वायु, त्रिदोष, हिचकी, खांसी और विष का शमन करता है।
(5)दस्त बन्द हो जाते हैं, भूख बढ़ाता है।
(6)हाजमा ठीक हो जाता है।
(7)इसके बीज हृदय रोग, मस्तिष्क शूल और विष विसर्प को दूर करते हैं।
(8) इसके बीजों का तेल कषैला ग्राही, जायकेदार, पित्तशामक तथा कफ, वमन, हिक्का और चूहे के विष को दूर करने वाला होता है।
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